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  • Writer's pictureVirat Chaudhary

सोशल मीडिया का युवाओं पर प्रभाव


हम इस सच्चाई को अनदेखा नहीं कर सकते कि सोशल मीडिया आज हमारे जीवन में मौजूद सबसे बड़े तत्वों में से एक है। इसके माध्यम से हम किसी भी प्रकार की  जानकारी प्राप्त कर सकते हैं तथा दुनिया के किसी भी कोने में बसे अपने प्रियजनो से बात कर सकते हैं। सोशल मीडिया एक आकर्षक तत्व है और आज ये हमारे जीवन से जुड़ा हुआ है। युवा हमारे देश का भविष्य है, वे देश की अर्थव्यवस्था को बना या बिगाड़ सकते हैं, वहीं सोशल नेटवर्किंग साइटों पर उनका सबसे अधिक सक्रिय रहना, उनके ऊपर अत्यधिक प्रभाव डाल रहा है।


युवाओं पर सोशल नेटवर्क का प्रभाव


इन दिनों सोशल नेटवर्किंग साइटों से जुड़े रहना सबको पसंद है। कुछ लोगो का मानना है कि यदि आप डिजिटल रुप में उपस्थित नहीं है, तो आपका कोई अस्तित्व नहीं हैं। सोशल नेटवर्किंग साइटों पर उपस्थित का बढ़ता दबाव और प्रभावशाली प्रोफ़ाइल, युवाओं को बड़े पैमाने पर प्रभावित कर रही है। आंकड़ों के मुताबिक एक सामान्य किशोर प्रति सप्ताह औसत रुप से 72 घंटे सोशल मीडिया का उपयोग किया जाता है, ये चीजे अन्य कार्यो के लिए बहुत कम समय छोड़ते है जिनके कारण उनके अदंर गंभीर समस्याएं पैदा होने लगती है जैसे अध्ययन, शारीरिक और अन्य फायदेमंद गतिविधियों में कमी, न्यूनतम ध्यान, चिंता और अन्य जटिल मुद्दों को उजागर करती है। अब हमारे पास वास्तविक मित्र की तुलना में अप्रत्यक्ष मित्र सबसे अधिक होते जा रहे हैं और हम दिन प्रतिदिन एक-दूसरे से संबंध खोते जा रहे हैं। इसके साथ ही अजनबियों, यौन अपराधियों को अपनी निजी जानकारीयो को दे बैठना आदि भी कई खतरे है।


सोशल मीडिया के सकारात्मक प्रभाव


यह शिक्षा के लिए एक अच्छा उपकरण है।यह कई सामाजिक मुद्दों के लिए जागरूकता पैदा कर सकता है।ऑनलाइन जानकारी तेज़ी से हस्तांतरित होती है, जिसकी मदद से उपयोगकर्ताओं को सूचना तत्काल ही प्राप्त हो जाती हैं।इसे एक समाचार माध्यम के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।इसके कुछ सामाजिक लाभ भी हैं जैसे लंबी दूरी के दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ संचार कर पाना।यह ऑनलाइन रोजगार के अवसर प्रदान करते हैं।

हम मानते हैं कि सोशल नेटवर्क के सकारात्मक प्रभाव हैं लेकिन बाकि सभी चीजों की तरह इसकी भी कुछ बुराईयाँ है।

इसके कुछ नकारात्मक प्रभाव भी हैं:


सोशल मीडिया के नकारात्मक प्रभाव-


परीक्षा में नकल करने में मदद करता है।छात्रों के शैक्षिक श्रेणी और प्रदर्शन को खराब करता है।निजता का अभाव।उपयोगकर्ता हैकिंग, आइडेंटिटी को चोरी, फ़िशिंग अपराध इत्यादि जैसे साइबर अपराधों के का शिकार हो सकता हैं।


निष्कर्ष: सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पहलुओं में कोई संदेह नहीं है लेकिन उपयोगकर्ताओं को सोशल नेटवर्किंग के उपयोग पर अपने विवेकाधिकार का उपयोग करना चाहिए। एक छात्र के रूप में संपूर्ण जीवन जीने के लिए अध्ययन, खेल और सोशल मीडिया जैसे कार्यों में संतुलन बनाये रखना चाहिए।

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